अगर किसी बुरी खबर या किसी घटना के बाद व्यक्ति लंबे समय तक उससे उबर न पाएं और पुरानी घटनाओं को सोचकर उदास, दुखी रहने लगे तो ये लांग डिप्रेशन का लक्षण है. अगर दुख में व्यक्ति ने खाना-पीना या सोना कम कर दिया है तो सतर्क हो जाएं.
अगर किसी बात का इतना गहरा आघात लगे कि व्यक्ति अपना सुध-बुध खो दे या उसकी सोचने-समझने या बात करने का तरीका बदल गया हो तो ये संकेत सही नहीं. अगर बार बार व्यक्ति को पैनिक अटैक आए या सांस लेने में दिकक्त महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें.
अगर कोई बार बार अपने न होने की बात करें, या अपने जीने को बेकार समझे या सुसाइड के तरीकों पर बात करें तो सावधान हो जाएं. इसका मतलब है कि उसके डिप्रेशन का स्तर उसे सुसाइड करने पर फोर्स कर रहा है.
अगर कोई किसी गहरे सदमे के बाद खाना-पीना छोड़ दे या नहाने जैसी दैनिक क्रियाएं करने से बचने लगे या उसका किसी काम में मन न लगे तो संभवतः यह डिप्रेशन का कारण है.
ये तब होता है जब आप बेहद थके हुए या कमजोर होते हैं. आप चीजों के बारे में मतिभ्रम कर सकते हैं और ये सिज़ोफ्रेनिया जैसे मेंटल डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है. हालांकि, अगर समय पर पता चल जाता है, तो प्रभाव को कम किया जा सकता है और आप नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं.
जब हमारा दिमाग थक जाता है, तो हमारा शरीर उसी तरह प्रतिक्रिया करता है. अगर आप पूरा दिन सिर्फ सोने में ज्यादा समय बिता रहे हैं, तो हो सकता है कि आप अवसाद (डिप्रेशन) या अन्य मानसिक विकारों (से पीड़ित हों.
अगर आपको लगता है कि आप अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पा रहे हैं और आसानी से आपा खो देते हैं, तो यह मानसिक बीमारी का संकेत हो सकता है. ये स्ट्रेस,एंग्जाइटी या शोक का एक चेतावनी संकेत है, जिसे आप लंबे समय तक सभी से छिपा सकते हैं.