इस मिठाई को पहली बार देखने के बाद मेरे मन में ख्याल आया कि लगता है कि इसको नेपाल से उधार लिया गया है। गोल आकार की ये मिठाई अंगूठी की बनावट में है। इसमें इलायची, केला, लौंग आदि का मिश्रण भी है, जो मुझे ज्यादा नहीं भाया।
ये तो सब जानते हैं नारियल के स्वाद वाले लड्डू मोदक भगवान गणेश को बहुत प्रिय है। महाराष्ट्र तो गणेश उत्तसव धूमधाम से मनाता है और यही वजह है कि यहाँ के लोगों को गणेश भगवान की प्रिय मिठाई सबसे ज्यादा भाती है। इसके बावजूद मुझे लगता है कि किसी भी मिठाई को नीरस नहीं होना चाहिए।
ये मिठाई जलेबी और मालपुआ के मिश्रण जैसी लगती है। मगर इस मिठाई का स्वाद दोनों का ही मुकाबला नहीं कर पाता। शायद ये मिठाई मुझे इसलिए पसंद ना आई हो क्योंकि इसमें डली इलायची मुझे पसंद नहीं है।
अगर बेबिनका को बनाने की बात करें तो वो बहुत भारी और थका देने वाला काम है। पारंपरिक रूप से बनने वाले इस मिठाई में सात परतें होती हैं जो घी, चीनी, अंडे की जर्दी और नारियल के दूध से बनी होती है। इस मिठाई की बनावट के बारे में सुन कर ही थकान होने लगती है।
खीर भारत का ऐसा पकवान है, जो देश के हर कोने में मिल जाती है, खास कर उत्तर भारत में। उत्तर भारत के इलाकों में दूध और दूध से बनी मिठाइयों की भरमार हैं। लेकिन मक्के से बनी खीर बहुत कम जगहों पर मिलती है और उन्हीं जगहों में से एक है, मध्य प्रदेश।
इस मिठाई को बनाना बड़े झंझट का काम है। इस मिठाई को बनाने के लिए पहले चावल को रात भर पानी में भिगो कर रखा जाता है। फिर उस भीगे हुए चावल को अदरक और अन्य सूखे मेवे डाले जाते हैं, जो इस मिठाई का महत्वपूर्ण भाग है।
भारत की शायद ही कोई ऐसी मिठाई हो जो आप को राजस्थान में ना मिले। लेकिन वो मिठाई जिसे देखकर कहा जा सकता है कि ये राजस्थान मिठाई है, वो है मलाई घेवर। आटे, मावे और मलाई से बनी घेवर मिठाई बहुत स्वादिष्ट होती है।
गुलगुले की तरह दिखने वाली ये मिठाई बेसन से बनती है और इसको दूध में डुबोकर परोसा जाता है। ये मिठाई स्वाद में तो बहुत अच्छी है लेकिन मिठाई को देखकर साफ कहा जा सकता है कि इसे सोच-समझकर नहीं बनाया गया है।