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Somvar ke upay: पाना चाहते हैं भगवान शंकर की कृपा, तो सोमवार के दिन जरूर पढ़ें ये स्तुति….

अगर आप भी अपने जीवन में भगवान भोलेनाथ की कृपा पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन कुछ इस प्रकार करें पूजन। ऐसा करने से भगवान शंकर आपकी झोली को खुशियों से भर देंगे। आइए जानते हैं की सोमवार के दिन हमें भगवान शिव की किस प्रकार पूजा करनी चाहिए।
 
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Somvar ke upay: हिंदू धर्म के अंतर्गत हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित होता है। उसी प्रकार सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। भक्त बड़े ही श्रद्धा भाव से देवों के देव महादेव की पूजा करते हैं। आपको बता दें कि भगवान भोलेनाथ अत्यंत भोले हैं। वह अपने भक्तों से बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में भगवान भोलेनाथ की कृपा पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन कुछ इस प्रकार करें पूजन। ऐसा करने से भगवान शंकर आपकी झोली को खुशियों से भर देंगे। आइए जानते हैं की सोमवार के दिन हमें भगवान शिव की किस प्रकार पूजा करनी चाहिए।

पंच श्रोत

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।।

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परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।।

Disclaimer: इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सिर्फ सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। सलाह सहित यह बातें केवल जानकारी के लिए ही है। यह किसी भी तरह से राय नहीं है। लेख में बताई गई बातें पूरी तरह से कारगर होंगी इसका हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक की राय जरूर ले।