हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी घाट का इतिहास जानकर रह जायेंगे आप भी दंग…

तो आपको बता दू की मैं और मेरी टीम आज आपको यहां के दर्शन करने के लिए पहुंच चुकी है उत्तराखंड में स्थित हरिदार मां की छत्र छाया में जहा से हम आपको मां गंगा से जुड़ी तमाम बातों का वर्णन करेंगे।
हर की पौड़ी घाट का इतिहास – History of Har Ki Pauri Ghat Haridwar Uttarakhand In Hindi.
हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी भारत के उत्तराखण्ड राज्य की एक धार्मिक नगरी हरिद्वार का एक पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसका भावार्थ है "हरि यानी नारायण के चरण" हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मन्थन के बाद जब धन्वंतरी देवताओं और दानवों के बीच हो रहे समुद्र मंथन के दौरान जब विश्वकर्मा जी अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर अमृत ले जा रहे थे, तभी अचानक अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई और वे स्थान धार्मिक महत्व वाले स्थान बन गए। अमृत की बूंदे हरिद्वार के हर की पौड़ी घाट पर भी गिरी थी, इसलिए हर की पौड़ी घाट पर स्नान करना हरिद्वार आए हर श्रद्धालु की इच्छा होती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस घाट पर स्नान करने से सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस घाट को राजा विक्रमादित्य ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में अपने भाई “भीरथरी” के याद में बनवाया था। ऐसा मान्यता है कि भीरथरी हरिद्वार आया था और उसने पावन गंगा की तपस्या हरिद्वार के इसी तट पर की थी। भीरथरी के मरने के बाद उसके भाई राजा विक्रमादित्य ने भीरथरी के नाम पर एक घाट का निर्माण करवाया, जो बाद में हर की पौड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
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गंगा आरती का महत्त्व
उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। हरि याने भगवान विष्णु। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है। हरिद्वार में हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इसी विश्वप्रसिद्ध घाट पर कुंभ का मेला लगता है और यहीं पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती है।
1.हरिद्वार की गंगा आरती जग प्रसिद्ध है। इस आरती का गवाह बनने सिर्फ भारतीय पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी भारी मात्रा में आते हैं।
2. गंगा की पवित्र लहरों के घाट जिसे हर की पौड़ी के नाम से जाना जाता वहां पर हर संध्या को आरती की जाती है जो गंगा मैया को समर्पित है।